गुलज़ार शायरी | Gulzar Shayari in Hindi :
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गुलज़ार शायरी | Gulzar Shayari in Hindi
मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता हूँ
मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती है।
एक बार जब तुमको बरसते पानियों के पार देखा था
यूँ लगा था जैसे गुनगुनाता एक आबशार देखा था
तब से मेरी नींद में बसती रहती हो
बोलती बहुत हो और हँसती रहती हो।
सुरमे से लिखे तेरे वादे आँखों की जबानी आते हैं
मेरे रुमालों पे लब तेरे बाँध के निशानी जाते हैं।
Gulzar Shayari in Hindi Motivational
आज मैंने खुद से एक वादा किया है
माफ़ी मांगूंगा तुझसे तुझे रुसवा किया है
हर मोड़ पर रहूँगा मैं तेरे साथ साथ
अनजाने में मैंने तुझको बहुत दर्द दिया है।
झुकी हुई निगाह में, कहीं मेरा ख्याल था
दबी दबी हँसी में इक, हसीन सा गुलाल था
मै सोचता था, मेरा नाम गुनगुना रही है
वो न जाने क्यूं लगा मुझे के मुस्कुरा रही है वो।
उम्र जाया कर दी लोगो ने औरों में नुक्स निकालते निकालते
इतना खुद को तराशा होता तो फरिश्ते बन जाते।
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Gulzar Shayari on Life in Hindi
कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत,
मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना।
कुछ सुनसान पड़ी है ज़िंदगी,
कुछ वीरान हो गए है हम,
जो हमें ठीक से जान भी नहीं पाया,
खामखां उसके लिए परेशान हो गए है हम।
कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं
और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता।
तुम्हे जो याद करता हुँ, मै दुनिया भूल जाता हूँ
तेरी चाहत में अक्सर सभँलना भूल जाता हूँ।
बेशूमार मोहब्बत होगी उस बारिश की बूँद को इस ज़मीन से,
यूँ ही नहीं कोई मोहब्बत मे इतना गिर जाता है।
दिल के रिश्ते हमेशा किस्मत से ही बनते है
वरना मुलाकात तो रोज हजारों से होती है।
उसने कागज की कई कश्तिया पानी उतारी और
ये कह के बहा दी कि समन्दर में मिलेंगे।
हम अपनों से परखे गए हैं कुछ गैरों की तरह
हर कोई बदलता ही गया हमें शहरों की तरह।
तुमको ग़म के ज़ज़्बातों से उभरेगा कौन,
ग़र हम भी मुक़र गए तो तुम्हें संभालेगा कौन।
हाथ छुटे तो भी रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक़्त की शाख से रिश्ते नहीं तोड़ा करते।
आऊं तो सुबह,
जाऊं तो मेरा नाम शबा लिखना,
बर्फ पड़े तो
बर्फ पे मेरा नाम दुआ लिखना।
मेरा ख्याल है अभी,
झुकी हुई निगाह में खिली हुई हँसी भी है,
दबी हुई सी चाह में मैं जानता हूं,
मेरा नाम गुनगुना रही है
वो यही ख्याल है मुझे के साथ आ रही है वो।
किसी पर मर जाने से होती हैं मोहब्बत,
इश्क जिंदा लोगों के बस का नहीं।
कैसे करें हम ख़ुद को तेरे प्यार के काबिल,
जब हम बदलते हैं, तुम शर्ते बदल देते हो।
एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है,
मैं ने हर करवट सोने की कोशिश की।
जिन दिनों आप रहते थे,
आंख में धूप रहती थी
अब तो जाले ही जाले हैं,
ये भी जाने ही वाले हैं।
वक्त कटता भी नही
वक्त रुकता भी नही
दिल है सजदे में मगर
इश्क झुकता भी नही।
इश्क़ की तलाश में
क्यों निकलते हो तुम,
इश्क़ खुद तलाश लेता है
जिसे बर्बाद करना होता है।
जबसे तुम्हारे नाम की
मिसरी होंठ लगाई है
मीठा सा गम है,
और मीठी सी तन्हाई है।
जब भी आंखों में अश्क भर आए
लोग कुछ डूबते नजर आए
चांद जितने भी गुम हुए शब के
सब के इल्ज़ाम मेरे सर आए।
ख्वाबी ख्वाबी सी लगती है दुनिया
आँखों में ये क्या भर रहा है
मरने की आदत लगी थी
क्यूं जीने को जी कर रहा है।
कोई वादा नही किया लेकिन
क्यों तेरा इंतज़ार रहता है
बेवजह जब क़रार मिल जाए
दिल बड़ा बेकरार रहता है।
पता चल गया है के मंज़िल कहां है
चलो दिल के लंबे सफ़र पे चलेंगे
सफ़र ख़त्म कर देंगे हम तो वहीं पर
जहाँ तक तुम्हारे कदम ले चलेंगे।
एक बीते हुए रिश्ते की
एक बीती घड़ी से लगते हो
तुम भी अब अजनबी से लगते हो।
तुझ से बिछड़ कर
कब ये हुआ कि मर गए,
तेरे दिन भी गुजर गए
और मेरे दिन भी गुजर गए।
गुल पोश कभी इतराये कहीं
महके तो नज़र आ जाये कहीं
तावीज़ बनाके पहनूं उसे
आयत की तरह मिल जाये कहीं।
सालों बाद मिले वो गले लगाकर रोने लगे,
जाते वक्त जिसने कहा था, तुम्हारे जैसे हज़ार मिलेंगे।
होती नही ये मगर
हो जाये ऐसा अगर
तू ही नज़र आए तू
जब भी उठे ये नज़र।
टकरा के सर को जान न दे दूं तो क्या करूं
कब तक फ़िराक ए यार के सदमे सहा करूं
मै तो हज़ार चाहूँ की बोलूँ न यार से
काबू में अपने दिल को न पाऊं तो क्या करूं।
कोई आहट नही बदन की कहीं
फिर भी लगता है तू यहीं है कहीं
वक्त जाता सुनाई देता है
तेरा साया दिखाई देता है।
मुझसे तुम बस मोहब्बत कर लिया करो,
नखरे करने में वैसे भी तुम्हारा कोई जवाब नहीं।
रोई है किसी छत पे, अकेले ही में घुटकर,
उतरी जो लबों पर तो वो नमकीन थी बारिश।
खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं
हवा चले न चले दिन पलटते रहते है।
तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
रात भी आयी और चाँद भी था, मगर नींद नहीं।
कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत,
मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना।
एक बार तो यूँ होगा, थोड़ा सा सुकून होगा,
ना दिल में कसक होगी, ना सर में जूनून होगा।
कुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिए,
भीड़ साहस तो देती हैं मगर पहचान छीन लेती हैं।
हम रिश्ते के लिए वक्त नहीं निकाल पाते वह
तुझे वक्त हमारे बीच से रिश्ते ही निकाल देता है।
रो रहे हो तो यह सच्चा प्यार ही नहीं
बल्कि यह आपका उसके प्रति लगाव है
जो आपको तड़पाता है
और आपको किसी और का होने भी ना देता।
उठाए फिरते थे एहसान जिस्म का जाँ पर
चले जहाँ से तो ये पैरहन उतार चले।
सहर न आई कई बार नींद से जागे
थी रात रात की ये ज़िंदगी गुज़ार चले।
कभी तो चौक के देखे कोई हमारी तरफ़,
किसी की आँखों में हमको भी को इंतजार दिखे।
एक बार तो यूँ होगा, थोड़ा सा सुकून होगा
ना दिल में कसक होगी, ना सर में जूनून होगा।
अगर किसी से मोहब्बत बेहिसाब हो जाए¸
तो समझ जाना वह किस्मत में नही।