नफरत शायरी | Nafrat Shayari in Hindi :
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नफरत शायरी | Best Nafrat Shayari in Hindi
प्यार, एहसान, नफरत, दुश्मनी जो चाहो वो मुझसे करलो,
आप की कसम वही दुगुना मिलेगा।
प्यार करता हु इसलिए फ़िक्र करता हूँ,
नफरत करुंगा तो जिक्र भी नही करुंगा।
नफ़रत हो जायेगी तुझे अपने ही किरदार से,
अगर मैं तेरे ही अंदाज में तुझसे बात करुं।
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Hate Shayari in Hindi
नफरतें लाख मिलीं पर मोहब्बत न मिली,
ज़िन्दगी बीत गयी मगर राहत न मिली।
जो मुझसे नफरत करते हैं शौक से करें,
हर शख्स को मैं अपनी प्यार के काबिल नहीं समझती।
कर लूं एक बार तेरा दीदार जी भर के मेरे दोस्त,
मेरी मोहब्बत और तेरी नफरत के बीच का फासला खत्म हो जाएगा।
हमें बरबाद करना है तो हमसे प्यार करो,
नफरत करोगे तो खुद बरबाद हो जाओगे।
मुझसे नफरत करने वाले भी,
कमाल का हुनर रखते है,
मुझे देखना तक नहीं चाहते,
लेकिन नजर मुझपर ही रखते है।
हक़ से दो तो तुम्हारी नफरत भी कबूल हमें,
खैरात में तो हम तुम्हारी मोहब्बत भी न लें।
नफरत करने वाले भी गज़ब का प्यार करते हैं मुझसे,
जब भी मिलते हैं कहते हैं कि तुझे छोड़ेंगे नहीं।
अजीब सी आदत और गज़ब की फितरत है मेरी,
मोहब्बत हो या नफरत बहुत शिद्दत से करता हूँ।
नाराजगी, डर, नफरत या फिर प्यार,
कुछ तो जरुर है जो तुम मुझ से दूर-दूर रहते हो।
नफ़रत करना है तो इस क़दर करना कि
हम दुनिया से चले जाए,
पर तेरी आँख में आंसू ना आए।
नफरत है इस रविवार से मुझे,
ये दिलाती है और भी तेरी याद खाली वक्त में।
खुदा सलामत रखना उन्हें,
जो हमसे नफरत करते हैं,
प्यार न सही नफरत ही सही,
कुछ तो है जो वो सिर्फ हमसे करते हैं।
देख कर उसको तेरा यूँ पलट जाना,
नफरत बता रही है तूने गज़ब की मोहब्बत थी।
मोहब्बत करने से फुरसत नहीं मिली दोस्तो,
वरना हम करके बताते नफरत किसको कहते हैं।
मेरे पास वक्त नही है,
नफ़रत करने का उन लोगो से,
जो मुझसे नफऱत किया करते है।
मोहब्बत करने से फुरसत नहीं मिली दोस्तो,
वरना हम करके बताते नफरत किसको कहते हैं।
तुम नफरत का धरना कयामत तक जारी रखो,
मैं प्यार का इस्तीफा जिंदगी भर नहीं दूंगा।
दुनिया को नफरत का यकीन नहीं दिलाना पड़ता,
मगर लोग मोहब्बत का सबूत ज़रूर मांगते हैं।
मुझसे नफरत की अजब राह निकली उसने,
हँसता बसता दिल कर दिया खाली उसने,
मेरे घर की रिवायत से वोह खूब था वाकिफ,
जुदाई माँग ली बन के सवाली उसने।
मुझे नफरत है इस मोहब्बत के नाम से,
क्यूँ बिना कसूर तड़पा तड़पाकर मारा है मुझे।
वो इनकार करते हैं प्यार के लिए,
नफऱत भी करते हैं तो प्यार करने के लिए।
उसने नफ़रत से जो देखा है तो याद आया,
कितने रिश्ते उसकी ख़ातिर यूँ ही तोड़ आया हूँ,
कितने धुंधले हैं ये चेहरे जिन्हें अपनाया है,
कितनी उजली थी वो आँखें जिन्हें छोड़ आया हूँ।
तेरी नफरतों को प्यार की खुशबु बना देता,
मेरे बस में अगर होता तुझे उर्दू सीखा देता।
ना मेरा प्यार कम हुआ, ना उनकी नफरत,
अपना अपना फर्ज था, दोनों अदा कर गये।
पहले इश्क़, फिर दर्द, फिर बेहद नफरत,
बड़ी तरकीब से तबाह किया तुमने मुझको।
नफरत शायरी हिंदी
चला जाऊँगा मैं धुंध के बादल की तरह,
देखते रह जाओगे मुझे पागल की तरह,
जब करते हो मुझसे इतनी नफरत तो क्यों,
सजाते हो आँखो में मुझे काजल की तरह।
जब नफरत करते करते थक जाओ,
तब एक मौका प्यार को भी देना।
दिलों में गर पली बेजा कोई हसरत नहीं होती,
हम इंसानों को इंसानों से यूँ नफरत नहीं होती।
नफरत के बाजार में जिने का अलग ही मजा हैं,
लोग रुलाना नहीं छोड़ते और हम हँसना नहीं छोड़ते।
तेरी नफरतों को प्यार की खुशबु बना देता,
मेरे बस में अगर होता तुझे उर्दू सीखा देता।
मोहब्बत में मेरे जज़्बात से तो खूब खेली तू
मेरे इश्क़ को नफरत के तराजू में तौलकर बेच डाली।
प्रेम की पतंग उड़ाना नफरत के पेंच काटना,
मांझे जितना लंबा रिश्ता बढ़ाना,दिल से इसे निभाना।
लेकर के मेरा नाम वो मुझे कोसता है,
नफरत ही सही पर वो मुझे सोचता तो है।
हाँ मुझे रस्म-ए-मोहब्बत का सलीक़ा ही नहीं,
जा किसी और का होने की इजाज़त है तुझे।
देखना मेरी तुम्हारी नफरतों में,
खाख ना हो जाए सबकुछ,
हम दोनो को भी आखिर में,
रहना तो है इसी बस्ती में।
नफरतों को जलाओ मोहोब्बत की रौशनी होगी,
वरना- इंसान जब भी जले हैं ख़ाक ही हुए है।
तेरी नफरत में वो तो दम कहाँ,
जो मेरी चाहत को कम करे।
कोई गुस्सा हो तुम्हारी भलाई के लिए,
समझ लेना उसके दिल में प्यार बहुत हैं तुम्हारे लिए।
इतनी नफरत हैं उसे मेरी मोहब्बत से,
उसने अपने हाथ जला लिए मेरी तकदीर मिटाने के लिए।
वो इंकार करते हैं इकरार के लिए,
नफरत करते हैं तो प्यारा के लिए,
उलटी चाल चलते हैं ये इश्क़ वाले,
आँखें बंद करते हैं दीदार के लिए।
दिल टुटना लाज़मी था इस शहर में,
जहाँ हर कोई दिल में नफरत लिये चलता है।
नफरत करनी हैं तो इस कदर करना
कि हम दुनिया से चले जाएं पर
तेरी आंख में आंसू आ।
नफरत करना भी तो सीखा ही नहीं
हमने दर्द को भी चाहा है अपना समझ क।
नफरत थी तो कह देते हमसे,
गैरो के सामने मज़ाक बनाना ज़रूरी था क्या।
कुछ इस अदा से निभाना है किरदार मेरा मुझको,
जिन्हें मोहब्बत ना हो मुझसे वो नफरत भी ना कर सके।